मैं और भालू

मैं और भालू

प्रिय मित्र काशीपुर से में भोपाल के लिए रवाना हो गया हूं। वही पुराना घर! अब तो...

काशीपुर से ख़त

काशीपुर से ख़त

प्रिय मित्र, कभी रोमांटिसिज्म के बारे में सुना है? कहीं उन्नीस्वीं सदी में इस...

यार प्रेमचंद और दोहरी वास्तविकता

यार प्रेमचंद और दोहरी वास्तविकता

“प्रेमचंद मुझे दो आँख नहीं भाता!”

कभी-कभी तो यूँ लगता है बचपन में कार्टून नेटवर्क देखा होता तो भला होता, यूँ दूरदर्शन पर ना ईदगाह देखते ना ऐसे विचार घर करते| वो कहानी टेलिविषन पर आई और चली गयी पर अपने सवालो का गट्टा भूल गयी और आज तक ढो रहे है उन्ही को…