साथी कार्मिक सुरेश चंद की दिनचर्या का विवरण

by | Jul 12, 2023

जीवन के रंग-बिरंगे मंच पर विभिन्न भूमिकाओं के निभानेवाले मेरे साथी कार्मिक सुरेश चंद एक आत्मविश्वासी, ज़िम्मेदार, समय के पाबन्द तथा पूर्ण ईमानदारी के साथ काम करने वाले इंसान हैं। इनकी साधारणता के पीछे दबी अनगिनत कथाएं हैं, जो उनकी अद्वितीयता को उजागर करती हैं। वे पिछले 3 वर्ष से सवाई माधोपुर की संस्था ग्रामीण शिक्षा केन्द्र समिति के “नवरंग” कार्यक्रम के अकादमिक टीम लीडर हैं और यहाँ काम करते हुए उन्हें लगभग कुल 13 वर्ष हो गए हैं।

इनका प्रमुख कार्य है समुदाय में चलाये जा रहे शिक्षण केन्द्रों को कार्डिनेट करना, अकादमिक कार्य तय करना, बच्चों को शिक्षा से जोड़ना, उनकी शैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान देना और इस कार्य में लगे हुए शिक्षा साथियों को आवश्यक मदद करना। 38 वर्षीय सुरेश प्रोग्राम से जुड़े कानून साथी, आजीविका साथी तथा समुदाय सदस्यों के साथ आवश्यक कार्यों का संपादन भी करते हैं। मैं उनके साथ मिलकर काम करता हूं।

सूर्योदय के साथ ही, ठीक 5 बजे, वे नई उमंग और ऊर्जा के साथ उठते हैं। इसके बाद, 15 मिनटों के भीतर वे अपनी नित्यावश्यकताओं को पूरा करते हैं। इसके बाद वे अपने आसपास के हरे-भरे पार्क में घूमते हैं और अपने शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम करते हैं। इसके दौरान, वे दौड़ लगाते हैं, सूर्य नमस्कार करते हैं, और अनुलोम-विलोम आदि प्राणायाम करते हैं। फिर वे अपनी दिन की शुरुआत चाय और नाश्ते से करते हैं और दिनभर की ताज़गी के साथ अखबार पढ़ते हैं व विश्व की घटनाओं के प्रति अपनी जानकारी को अपडेट करते हैं। अपने अखबार से निवृत्त होने के बाद, वे घर का पानी भरते हैं। अगला आधा घंटा वे नहाने, पूजा करने और दिन के लिए तैयार होने में बिताते हैं। तभी 8 बजे होते हैं और वे अपने कार्यस्थल के लिए रवाना होते हैं, जहाँ उन्हें 8:30 तक पहुंचना होता है।

कार्यस्थल पर पहले आधे घंटे वे अपने कर्मचारियों से मिलते हैं, उनसे रात की घटनाओं के बारे में जानकारी लेते हैं, और अपने अकादमिक कार्य को तैयार करते हैं। दिन में वे अपने सहयोगी आजीविका साथी, कानून साथी, और शिक्षा साथी के साथ टीम के कार्यों पर काम करते हैं। साथ ही वे समुदाय के लोगों से कहानियां, कविताएँ, और गीत संकलित करते हैं। उनका उद्देश्य समुदाय से जुड़ने और साझा करने का होता है।वे समुदाय में लोगों से मिलते हैं और केंद्रों की संचालन में मदद करते हैं। वे समुदाय से संस्थान कार्यालय आते हैं और 1:30 से 2:00 के बीच अपना भोजन करते हैं।

फिर, 2 बजे वे अगले दिन की कार्य योजना तैयार करते हैं और कार्यालय में बातचीत करते हैं। दोपहर 2 से 4 तक, वे अपने कार्यालय में कार्य करते हैं, जिसमें रिपोर्ट लेखन, योजना निर्माण, प्रोजेक्ट से संबंधित गतिविधियों पर चर्चा/शेयरिंग, क्षमता वर्धन और अन्य कार्यों का संपादन शामिल होते हैं। शाम में वे दिन भर की कार्य की समीक्षा और अंकन करते हैं। इसके बाद, वे अन्य साथियों के द्वारा किए गए अन्य कार्यों की अपडेट लेते हैं। 5 से 6 के बीच वे घर लौटने के लिए निकलते हैं, और इस दौरान वे बाज़ार से घरेलू सामग्री, सब्जी, राशन आदि खरीदते हैं।

घर पहुंचकर वे अपनी गाय की देखभाल करते हैं, जिसमें गाय को चारा खिलाना और पानी पिलाना शामिल होता है। इसके बाद वे अपने दोस्तों के साथ गप्पे मारते हैं और बातचीत करते हैं। फिर पूजा करके वे रात्रि का भोजन करते हैं। भोजन के बाद वे टहलने या घूमने जाते हैं और मौहल्ले में बातचीत करते हैं। इसके बाद वे दिन भर के कार्यों पर चिंतन करते हैं और अगले दिन की कार्य योजना के बारे में सोचते हैं। उनका दिन 9 से 10 तक किताब पढ़ने, मोबाइल चलाने, और मनोरंजन के विडियो देखने से समाप्त होता है। फिर रात10 बजे से सुबह 5 बजे तक, वे शांत नींद सोते हैं, ताकि वे अगले दिन नई उमंग और ऊर्जा के साथ उठ सकें।

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