“माचों नाव गगन आसे और मैं चिलपुटी में राइस। मैं तुमके चिलपुटी दखाएं दें।” (मेरा नाम गगन है और मैं चिलपुटी में रहता हूँ। मैं तुम्हें चिलपुटी की सैर करना चाहता हूँ।) हमारा गाँव चिलपुटी, छतीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित हैं। हमका गाँव नर्मदा नदी के पास बसा हुआ है। चलो आज हम अपना गाँव और यहाँ मिलने वाली बहुत सी नई चीजें जैसे घोंटूल, सर्गी के बीज और हमारी शाम की शाला आपको दखाएं।
स्वागत
Good morning, आपका स्वागत है हमारे गाँव में। आपके स्वागत के लिए हम सब बच्चों ने मिलकर अपने आस-पास के फूलों से आपके लिए ये गमला बनाया है। क्या आप हमारे साथ घूमना चाहेंगे?
हम आपको अपने गाँव की सबसे पसंदीदा जगह लेके चलेंगे और अच्छे अच्छे फल भी देंगे। हमारा ‘लीडर’ गगन है वो हम सबको सारी जगह घूमाएगा।
हम स्कूल से निकलते हुए पानी के पास चलेंगे और वहाँ से वापस घर।
सैर शुरू
हमारे गाँव के हर घर में धान, मक्का, सर्गी, दाल के बीज सुखाने के लिए रखे होते हैं। हम खेत में उगाए हुए सामान को ही खाते हैं और कुछ समान बेचते भी हैं, जो शाम को आप
हमारे गाँव के आस -पास बहुत गहने जंगल हैं, कुछ पेड़ हमारे गाँव के अंदर भी है।
घोंटूल की कहानी
ये देखो, इसे घोंटूल कहते हैं। घोंटूल की प्रथा ह्मरे गाँव में काफी सालों से चली आ रही है। घोंटूल की एक बहुत प्रसिद्ध कहानी है, आप सुनेंगे?
गोंड समाज में एक कथा है की एक क्षेत्रीय आदिवासी नायक और प्रसिद्ध देवता लिंगों की आत्मा घोंटूल में वास करती है। लिंगों सात भाइयों में सबसे छोटा था और अपने गाँव में सबसे अधिक प्रसिद्ध था। उसकी प्रसिद्धि देख कर उसकी भोजियाँ बहुत कोशिश करती रहीं की उसको रिझा सकें। पर लिंगों ने उनपर ध्यान नहीं दिया। इस बात से तंग आकार भोजियाँ अपने पतियों से लिंगों के बारे में झूठी कहानियाँ सुनाने लगी। लिंगों से बदला लेने के लिए उसके भाइयों ने उसे जला दिया। लेकिन लिंगों चमत्कारी रूप से जींद प्रकट हुए। इस घटना के बाद लिंगों ने मुरिया घोंटूल की स्थापना की जो युवक-युवतियों को आपस में ज्ञान साझा करने का स्थान बन गया।
घोंटूल गाँव मन में होने वाले सभी सामाजिक कार्यक्रमों का घर होता है, इसका हिसा कोई भी बिना शादी के युवक और युवती हो सकते हैं। हमारे गाँव में पहले दो तरीके के घोंटूल होते थे। एक जैसा ये है जो गाँव से थोड़ा दूर है जिसमें सब लड़का लड़की लोग मिलके नाच गाना करते हैं। दूसरा गाँव के बीच होता है जाहन सब लोग बैठ कर बात करते हैं, नाच गाना करते हैं, कहानी सुनते हैं।
जाने-पहचाने रास्ते
चलो हम आगे बड़ें? ये रोड़ गाँव के बाहर लेके जाती है, हम बच्चे मन यहाँ खेलने भी आते हैं। ये देखो बहुत सारे सर्गी के फूल। हम ये सर्गी के फूलों से हमेशा खेलते हैं। पर जब ये सुबह-सुबह उठाके घर लेके जाना होता है तब अच्छा नहीं लगता। हम सर्गी के फूलों को जमा करते हैं, धूप में सूखते हैं। जैसा हमने पहले भी देखा था। उसके बाद वो सूखा फूल मन पे आग जला देते हैं। उसको साफ करके बचे हुए बीज मन को बाजार बेचने के लिए ले जाते हैं।
यहाँ से पक्का रास्ता खत्म हो जाएगा और अब हम जंगल के अंदर जाएंगे। हम इसी रास्ते से पानी की तरफ जाते हैं, यहाँ बहुत साल के पेड़ हैं। जब हमारे गाँव में शादी होती है हम सर्गी के पत्ते जमा करते हैं और बहुत सारे बर्तन बनाते हैं।
ये रहे हमके सर्गी के पेड़, इसके ही फूल हम जमा करते हैं। वोह देखो पानी …
अभी पानी काम दिख रहा है पर बारिश जब थी तो बहुत पानी था। हम यहाँ नहाने आते हैं। पानी पीने के लिए यहाँ से भरके लेके जाते हैं, गाय भी यहाँ पानी पीते हैं।
अरे हमके भी देखना है, दूरबीन से, शाला में पड़े थे इसके बारे में। मैं आसमान में देखूँगा, पिटी (चिड़िया) दिखेगी।
अभी गाय के घर जाने का समय हो गया है, हमके भी शाला जा सकते हैं, हम भी चलें?
वो देख, सर्गी के बीज उठा रही है।
शाला और खेल
ये हमके शाला का टाइम है, ये सब हम बच्चे मन ने बनाया है। स्कूल खत्म होने के बाद हम यहाँ खेलते और पड़ते हैं। कुछ बच्चे मन अंदर खेलते हैं और कुछ बाहर। वो देख गगन को (हंसी)
ये हमेशा साड़ी पहनके मैडम बनता है। मुझे साड़ी सुंदर लगती है, देख मैं सुंदर दिख रहा ना? हैलो, मेरा नाम गन्नी है, मैं गगन की बहन हूँ। मैं बहुत अच्छी हूँ। गन्नी हमके शाम को नया नया पढ़ाती है। और कभी कभी डांटती भी है। (हंसी)
गन्नी के कुछ बच्चे बाहर खेल रहे हैं। पानी की बोतल से पानी का खेल खेल रहे।
हम बाजार में गिरी हुई बोतलों को उठा कर यहाँ जमा करते हैं और उनसे खेलते हैं। बहुत नया-नया खेलने की चीजें बनाते हैं।
आप चलेंगे बाजार?
बाजार
शाम के बाजार में सब अपने सामान लेके आते हैं। हम यहाँ से भाजी, खेलने का समान, खाने की चीजें लेते हैं। सब मिलता है बाजार में। हम भी तंतर चटनी और पकोड़ा खाएंगे। आप भी हमके साथ खाओगे? बहुत अच्छा है।
चटनी बहुत अच्छा था ना? हम इसके बाद टीवी देखने जाएंगे आप भी चलो, शाला के पास वाले घर में बहुत बड़ा टीवी है, वहाँ देखेंगे।
हम कभी कभी टीवी देखने आते हैं दीदी के घर वो हमे शाम को शाला में पढ़ाती भी हैं। स्कूल के बाद हम सब दीदी के साथ पड़ते हैं। टीवी देखके बहुत मज्जा आया। गीली गीली गुल्ली गुल्ली (हंसी)।
“अरे बच्चे मन शाम हो गई है घर आओ, कल सुबह सर्गी लेने जाना है।” (दूर से आवाज आई)
घर वाले बुला रहे हैं, हम सब अब हमके घर जाएंगे। आपको आज हमके साथ घूमने में मज़ा आया?
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