भुखमरी

by | Oct 3, 2023

भुखमरी शब्द से आम तौर पे हम समझते हैं भूख के कारण लोगों का तड़पना या उनको खाना खाने को नही मिलना। भुखमरी से और बीमारियां भी होती हैं, व्यक्ति का वृद्धि-विकास भी रुकता है, और लम्बे समय से ग्रसित रहने पर इससे मृत्यु भी हो सकती है। इस से होने वाले कुपोषण का ही एक रूप है शरीर मे विटामिन, पोषण तत्व, और ऊर्जा ग्रहण करने की क्षमता मे कमी होना।

यह एक एसी वैश्विक समस्या है जो किसी भी देश के लिए बहुत खतरनाक होती है और इससे निपटने के लिए हर देश खूब कोशिश करता है लेकिन यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है। भारत की बात करें तो ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत में २०० मिलियन लोग कुपोषित हैं। यह एक ऐसा छिपा हुआ सच है जिसे हम देख नही पाते और न ही इसके बारे में ज़्यादा बात करते हैं। हमारे देश की आबादी अधिक होने के कारण लोगों को पता ही नही चलता कि भुखमरी के मामले में हम काफी पीछे हैं।

मानव शरीर को जीवन जीने के लिए भोजन व पानी मुख़्य चीज़ें हैं, वह भी साफ-सुथरा वरना बीमारी हो सकती है

अगर हम भुखमरी के इतिहास को देखें तो इसे अलग-अलग संस्कृतियों में संकट के समय बढ़ते हुए देखा गया है। विश्व युद्ध, अकाल, बाढ़, भूकंप, गरीबों और अमीरों के बीच बढ़ती हुई असमानता जैसे कई कारणों से यह समस्या बढ़ जाती है। भुखमरी से जुड़ी हुई है ग़रीबी और उसी के साथ-साथ अशिक्षा, असमानता, और अन्य सामाजिक कारक।

मेरे यहाँ भुखमरी की समस्या अशिक्षा, जनसंख्या वृद्धि ओर भेदभाव से जुड़ी है। आसपुर, राजस्थान, जहाँ मैं रहता हूँ, वहां भुखमरी का एक कारण है महिला और पुरुष के बीच भेदभाव। महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले कम खाना मिलता है क्योंकि वे सबके खाने के बाद खाती हैं तो जो बचता है, वही उनके हिस्से आता है। बच्चों में भी पहले लड़कों को खिलाया जाता है। पुरुष प्रधान समाज होना भी भुखमरी को एक महामारी का रूप दे देता है। इसके अलावा भोजन मे पोशक तत्वों की कमी होने की वजह से लोग शुरू से ही कुपोषित हो जाते हैं।

यहाँ भुखमरी मौसम आधारित भी है। जिस प्रकार लोगों ने प्रकृति का दोहन किया है, वैसे ही अब प्रकृति भी अपना रूप दिखा रही है। बेमौसम बारिश होना, कभी बहुत ज़्यादा, कभी बहुत काम तो कभी बिलकुल नही। इस बार की ही बात करें तो मौसम ने अपने कई रंग दिखाये। शुरू में अच्छी बारिश हुई लेकिन जैसे ही फसल थोड़ी बढ़ने लगी, दो महीनों तक बारिश का नामोनिशान तक नही था। इसकी वजह से अनाज खराब हुआ, फसल बर्बाद हुई और अब चिंता की बात ये है कि लोगों के पास खाने को ज़्यादा कुछ नहीं है।

समस्या तब भी आती है जब जलवायु परिवर्तन होने से कई बार सर्दी में भी भारी बारिश होने से फसल बिगड़ जाती है। ऐसे में पैसे का भारी नुक्सान होता है क्योंकि बीज की कीमत भी बढ़ती जा रही है।

यहाँ मजदूर वर्ग भी भारी तादाद में है, जो रोज़ काम करने जाते हैं लेकिन बारिश होने से कई बार निर्माण कार्य भी बंद हो जाते हैं जिससे उनको काम नही मिलता है। इस स्थिति में उन्हें राशन खरीदने में समस्या होती है। कई बार नशा करने से भी लोगों का पैसा ख़त्म हो जाता है ओर वे सही से पोषण नही ले पाते हैं।

सरकार द्वारा भुखमरी से निपटने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं जैसे खाद्य सुरक्षा योजना के तहत हर महीने प्रति सदस्य को 5 किलो गेहूं दिया जाता है। साथ ही मिनिमम रेट पर खाना उपलब्ध कराया जाता है जिससे सभी लोग खा सके। राजस्थान ने अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना भी चालू की है जिसमें निःशुल्क राशन उप्लबद्ध करवाया जा रहा है। स्कूलों मे मिड-डे मील योजना भी चलाई जा रही है जिसमें कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को दोपहर का खाना खिलाया जाता है। अलग-अलग प्रदेश की सरकारों द्वारा इसमें परिवर्तन भी किए जाते हैं जैसे कुछ समय तक राजस्थान में हर रोज़ दूध भी दिया जाता था लेकिन अभी सप्ताह मे दो बार दूध पाउडर का दूध मिलता है।

मिड-डे मील की वजह से बच्चों का नामांकन भी बढ़ता है। और साथ ही जब ग्रामीण इलाकों में माँ-बाप खेतों पर या कहीं और काम पर चले जाते हैं तो बच्चे बिना खाये पिए ही स्कूल जाते हैं जिससे उनके पोषण मे कमी होती है, लेकिन इस योजना के होने से यहाँ बच्चों के पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

गर्भावस्था के दौरान भुखमरी या कुपोषण को रोकने के लिए सरकारी योजनाओं द्वारा महिलाओं को पोषित किया जाता है। आंगनवाड़ी के माध्यम से भी 6 महीने से 5 साल तक के बच्चों को पौष्टिक आहार मिलता है। लेकिन विडम्बना ये भी है कि कई बार हम देखते हैं हज़ारों टन अनाज सड़ जाता है लेकिन ज़रूरतमन्द तक नहीं पहुँच पाता। बेसिक हेल्थकेयर सर्विसेज़ के साथ काम करते हुए मैंने भी इस काम में सहयोग दिया है। स्किल डेव्लपमेंट, पोषण के लिए कुछ सब्ज़ियों के बीजों का वितरण, पोल्ट्री फार्म के प्रयास, ऐसी पहल हम संस्था द्वारा करते रहते हैं। कभी-कभी लोगों को सरकारी योजना के तहत जोड़कर भी फायदा पहुंचवाया है।

Stay in the loop…

Latest stories and insights from India Fellow delivered in your inbox.

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *