नशामुक्ति अभियान: जीवन का बदलाव

by | Apr 26, 2024

आधुनिक युग में शराब का सेवन एक गंभीर समस्या बन गया है। यह नशा न केवल व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है, बल्कि उसके परिवार, समाज, और देश को भी बर्बाद करता है। शराब के सेवन का आरंभ आमतौर पर सामाजिक परिदृश्य में होता है। युवा वर्ग अक्सर दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के दौरान शराब का सेवन करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उनका नशा संयोजित निर्णय और स्वाधीनता को नुकसान पहुंचाता है।

शराब की अधिकता से शारीरिक स्वास्थ्य पर अनेक प्रकार के असर पड़ते हैं, जैसे कि बीमारियाँ, शारीरिक कमजोरी, मानसिक तनाव, और तनाव से होने वाले विकार। समाज में शराब की अधिकता के कारण परिवार को भी भुगतना पड़ता है। परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों में असंतुलन, आर्थिक संकट, और सामाजिक बंधनों में कमजोरी आती है। इस प्रकार, शराब का सेवन न केवल व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे समाज को नुकसान पहुंचाता है। इसी लिये नशामुक्ति अभियान महत्वपूर्ण साबित होता है।

जन स्वास्थ्य सहयोग और नशामुक्ति अभियान

जन स्वास्थ्य सहयोग एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो वर्ष 2000 से अचनकमार टाइगर रिजर्व के गांवों में काम कर रहा है। हमने इन दूरदराज और पहुंच में कठिन गांवों में तीन स्तरीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना शुरू किया, जिसमें प्रथम स्तर पर 72 वनगाँव और वन से घिरे गांवों के प्रत्येक टोले के लिए गांव आधारित स्वास्थ्य कार्यकर्ता, द्वितीय स्तर पर साप्ताहिक चिकित्सक द्वारा संचालित क्लिनिक और प्रयोगशाला वाले 3 उपकेंद्र और तृतीय स्तर पर गनियारी गांव में 100 बिस्तरों वाला रेफरल अस्पताल शामिल है।

जन स्वास्थ्य सहयोग के क्लस्टर समन्वयको द्वारा गाँवो में बैठको के दौरान और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ से गाँव में भ्रमण के दौरान भी कई लोगों ने नशा छोड़ने के बात को उठाया। जब मरीज रेफर होकर गनियारी आते इलाज के दौरान जब डॉक्टर उनसे बात करते तो वो बताते कि शराब का सेवन करते है। और ज्यादातर बीमारी की समस्या है वो कही ना कही ज्यादा शराब पीने की वजह से हो रही है। वो डॉक्टर से भी नशे को छोड़ने के लिए परामर्श मांगते।

गाँव में अधिकतर मौते नशे के कारण हो रही है जैसे कि शराब का हद से ज्यादा सेवन, शराब पीकर घर में झगड़ो की वजह से जान ले लेना। कई बार ऐसा हुआ है कि नशा उतरने के बाद जो पिछली रात को किया उसके आत्मग्लानी से आत्महत्या भी कर लेते थे। ये भी एक गंभीर मुद्दा हो गया था जन स्वास्थ्य सहयोग के लिए। गाँव की स्वास्थ्य कार्यकर्ता, फुलवारी कार्यकर्ता कभी मासिक बैठक में नही आती। उनके साथी से या जब वो अगली बार बैठक में आती तो पता चलता कि उनके पति ने शराब पीकर उनकी पिटाई की जिससे कई बार गंभीर चोट भी आयी। शराब पीकर उनके पति उनके काम में भी बाधा डालते।

इस समस्या को देखते हुए सन २०१३ से शराब नशामुक्ति समूह की शुरुआत की गयी। जिसमे वरिष्ठ स्वास्थ्य कार्यकर्ता, फुलवारी कार्यकर्ता तथा समूह सहायक सबने अपना योगदान दिया।

नशामुक्ति अभियान की प्रभावी व्यवस्था

Meeting of de-addiction self help group (नशामुक्ति अभियान)
गाँव – कटामी दियाबर समूह द्वारा साप्ताहिक बैठक

नशामुक्ति कार्यक्रम में समूह के तौर पर ही संचालित किया गया। जहाँ पर लोगों का आपस में सहयोग लेकर, बिना किसी ग्लानी के एक दुसरे पर भरोसा करके शराब छोड़ सके। और सबके साथ में आगे जीवन को बेहरत बना सके। साथ ही साथ में उनके घर वालो की भी परामर्श दिया गया की उनके घर वालो को क्या चीजे मजबूर करती है जिससे वो शराब की तरफ जाते है, उनपे ध्यान दे और उनको शराब छोड़ने में जो भी सहयोग चाहिए वो सहयोग दे।

साल भर समूह को व्यवस्थित तरीके से बैठने के बाद जब लोगो ने नशे को छोड़ना शुरू किया तो उनको बचत से जोड़ा गया ताकि लोग बचत पर ध्यान दे पाए।

साथ ही साथ में सामूहिक गतिविधि में संग्लित हुए ताकि समय का सदुपयोग कर सके और अपने आप को व्यस्त रख सके। क्यों की समूह के कई लोगो ने बोला था कि जब हम खाली बैठते है तो नशे के बारे में सोचते है। तो वो अलग अलग गतिविधि में लग कर अपने आप को व्यस्त रखते है।

व्यवसायिक गतिविधियों का प्रोत्साहन

समूह के माध्यम से जब लोगो की बचत बढ़ी तो उनको व्यवसाय के लिए प्रेरित किया गया जिसमे कुछ समूह ने कृषि कार्य में निवेश किया और आगे बढ़ने के लिए  ट्रेक्टर और कृषि उपकरण खरीदे, और उसमे आगे ध्यान दिया । इसी तरह से कुछ समूह मछली पालन कर सलाना अच्छा आय अर्जित किया और उसको और विस्तार से बढ़ चढ़ के कर रहे। उसके अलावा सामूहिक रूप से  रसायन रहित सब्जी उत्पादन कर बाज़ार में बेच रहे है।जिससे वो अपने आप को और अपने परिवार को आत्मनिर्भर बना रहे है ।

Business of fishing started by members of de-addiction support group
गाँव – जाकड़बांधा, महाकाल शराब नशा मुक्ति समूह व्यवसायिक गतिविधि (मछली पालन)

महाधिवेशन का महत्व

हर साल जन स्वास्थ्य सहयोग की तरफ से सारे समूहों का साल में एक बार एक साथ बैठक आयोजित की जाती है। जिसको महाधिवेशन कहा जाता है, जैसे की इस बार 32 समूहों का ये 10वां वार्षिक अधिवेशन था। महाधिवेशन न केवल नशामुक्ति के प्रति लोगों के जागरूकता को बढ़ाने में मददगार साबित हुआ है, बल्कि इसने समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन की भी दिशा में कदम बढ़ाया है। इस महाधिवेशन के माध्यम से लोगों ने बेझिझक अपने अनुभव साझा किये, जो उनकी जिंदगी में नशामुक्ति समूह के साथ जुड़ने के बाद हुए सकारात्मक परिवर्तन को दर्शाते हैं।

महाधिवेशन से अमूल्य बदलवा देखने को मिला है। समहू के अलावा जो लोग इस वार्षिक बैठक में सम्लित होते है, दूसरे लोगों के अनुभव से सिखते है और अपने आप को प्रेरित करते है कि वो नशे से दूर रहेंगे। और ये भी देखा गया कि कई गांवों में लोगो ने खुद ही समूह बनाए और हमारे फील्ड स्टाफ से सहयोग मांगा की उनको शुरआत में संचालन के लिए मदद करे।

Conference of de-addiction group, their family members and well-wishers. (नशामुक्ति अभियान)
गाँव – अतरिया (कटामी ) शराब नशा मुक्ति का 10 वां वार्षिक अधिवेशन

नशामुक्ति अभियान के प्रभाव

नशामुक्ति कार्यक्रम का प्रभाव समूह के सदस्यों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है। उन्होंने नशा मुक्त जीवन की दिशा में कदम बढ़ाया है और अपने जीवन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। इसके अलावा, यह कार्यक्रम समाज में जागरूकता और सहयोग को बढ़ावा देने में सफल रहा है।

आज के समय में 15 गाँव से नशामुक्ति समूह से जुड़ कर 70% लोगों ने शराब नशे को ना कहा है। और साथ हे साथ नशा मुक्ति के लिए कोई दवा का उपयोग भी नही किया गया फिर भी गाँव की स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता और वरिष्ठ स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता उनके बैठको में शामिल होते और अच्छे तरीके से परामर्श करते।

समूह में लोगो का एक – दूसरे का सहयोग तथा आत्मविश्वास और सबका धृढ़ निश्चय ही, अपनत्व ही ऐसी कड़ी थी जिससे लोगो ने कोई भी उपचार नही लिया और यही एकता की कड़ी और मजबूत होती गयी और समूह का काम ही है की अपने लोगो को साथ में लेकर चलना।

De-addiction self help groups from villages are spreading awareness in market places (नशामुक्ति अभियान)
समूह सदस्यों द्वारा हाट – बाज़ार में शराब नशा मुक्ति का जागरूकता अभियान

चुनौतियाँ

आज के समय में ऐसे बहुत लोग है जिनके पास किसी तरह की आजीविका का साधन नही है। जिसके कारण वो पलायन करते है फिर वहां जा कर नशे में दोबारा से लिप्त होने का संयोग होता है। साथ ही साथ में कई समुदाय के मांगलिक कार्यक्रम (शादी – छठी) में शराब के सेवन का प्रचलन है जो कि बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।

नशामुक्ति कार्यक्रम ने एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाया है और समाज में एक स्वस्थ और नशा मुक्त वातावरण को प्रोत्साहित किया है। इसके माध्यम से लोगों को नशा मुक्त जीवन की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है और उन्होंने अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है।

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