अभी कुछ समय पहले ही मैंने एक पुस्तक पढ़ना प्रारंभ किया है, उस पुस्तक के पहले अध्याय के पहले पृष्ठ पर मार्क ट्वाइन की निम्नलिखित पंक्तियां लिखी हुई थी,
“Thousands of geniuses live and die undiscovered – either by themselves or by others”
इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद मैं अपने विचारों के समुद्र में काफी देर तक तैरता रहा. अपने बिस्तर पर रजाई के अंदर लेटा हुआ अपने दर्जनों मित्रों के बारे में सोचने लगा जिन्होंने देश के विभिन्न विशिष्ट शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई किया है पर फिर भी अपनी आजीविका कमाने के लिए जद्दोजहद में लगे हैं या फिर बेरोजगार हैं. उन लोगों के अंदर मुझे असीम क्षमता एवं काबिलियत नजर आता है. मैं नहीं जानता क्यों पर जब मेरी उनसे बातें होती है और अपनी आजीविका के लिए जब उन्हें परेशान और चिंतित देखता हूं तो मुझे भी बहुत तकलीफ होता है. इस देश में मेरे मित्रों जैसे ना जाने कितने लोग बेरोजगार होंगे. जिनके पास योग्यता है, क्षमता है, पर काम नहीं. अक्सर में सोचता रहता हूं कि कैसे मैं इन जैसे क्षमतावान एवं योग्य लोगों के साथ में काम कर सकता हूं? कैसे इनकी मैं मदद कर सकता हुँ? इन्हीं विचारों में उलझा हुआ मुझे कब नींद आ गई यह मुझे पता भी ना चला.
अगले दिन ऑफिस जाने पर मुझे पता चला कि मुझे अपने संगठन के दूसरे शाखा के भ्रमण पर जाना है. यहां मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं अपने फेलोशिप के तहत Business2Rural टेक्नोलॉजी नामक एक संस्था के साथ अभी हाल ही में संलग्न हुआ हूं. यह संस्था उत्तराखंड में अवस्थित एक ग्रामीण बीपीओ है, तथा स्थानीय युवक युवतियों के लिए रोजगार का एक बहुत बड़ा केंद्र है. फिलहाल इस संस्था में लगभग 300 लोग कार्यरत हैं तथा इसकी 5 शाखाएँ हैं.
चलिए अपने विषय बिंदु पर वापस लौटते हैं. मैं संस्था के संस्थापक धीरज डोलवानी एवं कंपनी की HR एवं लीगल हेड संजना बाली के संग कंपनी के उस शाखा पर पहुंचा. वहाँ पहुँचने के बाद कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद कंपनी की उस केंद्र पर हो रहे कार्य को समझने के लिये मैं प्रोसेसिंग इकाई में भ्रमण के लिए गया. वहां मुझे जगदीश नामक संस्था के एक सदस्य ने एस्कॉर्ट किया. यहां आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इस कंपनी में ऐसे कई तरह के कार्य होते हैं जिसके लिए बेहद गोपनीयता एवं सुरक्षा की जरूरत होती है एवं इसके लिए कई नॉर्म्स का अनुकरण किया जाता है. उस इकाई में प्रवेश करने के बाद मैंने देखा कि लोग पूरी तन्मयता के साथ अपने अपने कार्य में जुटे हैं. जगदीश ने मेरा परिचय टीम के अन्य सदस्यों से करवाया और उसके बाद उन्होंने मुझे वहां हो रहे कार्य के बारे में समझाना शुरु किया. जगदीश द्वारा बताए जा रहे चीजों को मैं टहलता हुआ सुन रहा था और देख रहा था, मेरी आँखें यहां वहां उपस्थित व्यक्तियों एवं चीजों का अवलोकन कर रहा था. तभी अचानक मेरे विचार एवं नजर एक जगह पर तब ठहर गया जब जगदीश ने अपने एक टीम के सदस्य को अपने कार्य के बारे में समझाने के लिए बोला.
एक बेहद साधारण सी दिखने वाली वह ग्रामीण महिला जिनका नाम तुलसी है, ने जिस सफाई एवं प्रवीणता पूर्वक मुझे वहाँ हो रहे कार्यों के बारे में समझाया उससे मैं बेहद प्रभावित हुआ. मैं तुलसी के बारे में ज्यादा जानने के लिए उत्सुक हुआ. तुलसी से बातचीत करके मुझे पता चला कि तुलसी एक बेहद सामान्य ग्रामीण परिवार से ताल्लुक रखती है. एवं इस कंपनी B2R में काम करने से पहले वह सिर्फ घरेलू कार्य किया करती थीं. जिसमें शामिल है जंगल से इंधन के लिए लकड़ियां काट कर और चुनकर लाना, मवेशियों के लिए चारा लाना, कृषि कार्यों में माता-पिता का सहयोग करना, इत्यादि. परिवार के सदस्य तुलसी को लड़की होने के कारण पढ़ाना नहीं चाहते थे. पर तुलसी ने घरवालों से अनुरोध और जिद करके 12वीं तक की पढ़ाई की. और आज तुलसी के पास B2R में काम करने के वजह से Excel, HTML, XML, फोटोशॉप इत्यादि जैसे कई विषयों का गहरी ज्ञान और कौशल हैं. तुलसी अपनी कंपनी के अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं एवं गरिमा युक्त नौकरी कर रही हैं.
बातचीत के दौरान मैंने जब उनसे पूछा कि कंपनी में 6 वर्ष कार्य करने के बाद आपके जीवन में किस तरह का बदलाव आया है? तो उन्होंने बेहद आत्मविश्वास एवं गर्व के साथ बताया, “बहुत सारी चीजें बदल गई हैं, मैं सिर्फ घर और घर के कार्यों तक सीमित थी अब मैं कई शहर और कई चीजें देख चुकी हूं. मैं एक शर्मीली और संकोची लड़की थी, लोगों से बात करने में डरती और हिचकती थी, पर आज आराम से किसी भी व्यक्ति से बात कर सकती हूं. मैं एक आत्मनिर्भर महिला बन गई हूं तथा अपने घर-गृहस्थी में सक्रिय और मुख्य भूमिका निभा रही हुँ.”
वहाँ से लौटते वक्त मैं कार में बैठा हुआ यह सोचते हुये आ रहा था कि तुलसी जैसे दर्जनों और सैकड़ों नहीं बल्कि करोड़ों महिलाएं और युवा हैं इस देश में, जिनके पास असीम क्षमता और योग्यता है जिन्हें सिर्फ उचित अवसर एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता है. मेरे चिंतन के अनुसार देश में B2R जैसे कई ऐसे संस्थाओं की जरूरत है जो देश के सुदूर इलाकों में रहने वाले ऐसे योग्य एवं उर्जावान लोगों की क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल कर सके एवं उनमें निखार ला सके. इसमें लोगों की व्यक्तिगत तरक्की के साथ साथ देश की बेहतरी और तरक्की भी संभव है.
*** Feature image from this source. Also read more about the organization’s work over it.
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