आलेख बोली और भाषा की पहचान और उससे जुड़े सवालों पर चर्चा करता है। यह विलुप्त होती भाषा के साथ समाज के विलुप्त होने की चिंता व्यक्त करता है।
क्या कोशिश में कमी है रही?
Shweta pens a poetry to express unsettling thoughts and to ask if there has been any lack of effort in building our democracy
कुछ गुफ्तगू मानसिक स्वास्थ्य पर
इस पॉडकास्ट के जरिए, मैंने और मेरी साथी सहेली 'समरीन' ने जिंदगी से जुड़े कुछ...
मासूम ख़्वाहिशें, अनोखी बंदिशें और घटते आंकड़े
कम्युनिटी सेंटर पर रहना यानी आसपास स्थित समुदायों के सभी खुले-छुपे और छुपाए...
कश्ती गुज़ारे की, चाह की
मैं लखनऊ स्थित सद्भावना ट्रस्ट में इंडिया फ़ेलो के रुप में जुड़कर कार्य कर रही...
लखनऊ में वो सत्रह दिन
दिन-ब-दिन गुज़र रहे हैं, न पल ठहर रहे हैं, और न ही समयअंजान हैं इस अनजाने सफ़र...