आँखें

आँखें

यह कविता समाज के विभिन्न दृष्टिकोणों को आँखों के माध्यम से प्रस्तुत करती है। कभी ये आँखें भय उत्पन्न करती हैं, तो कभी अपनापन का एहसास कराती हैं।