Author: Sagrika Rawat
आँखें

आँखें

यह कविता समाज के विभिन्न दृष्टिकोणों को आँखों के माध्यम से प्रस्तुत करती है। कभी ये आँखें भय उत्पन्न करती हैं, तो कभी अपनापन का एहसास कराती हैं।