पहियों की कहानी: ट्रक की ज़ुबानी

by | Jan 8, 2025

पोंप पोंप अरे रुकिए तो सही

सुनिए तो हमारी

ये मेरा स्टीकर चमकदार और रंगों की बहार

को निहारिये तो सही

चलिए शुरू करते हैं मेरी कहानी

मैं हूं ट्रक नंबर 2063

और ये मेरी ज़िंदगी की झांकी

मीलों दूर घर के रहता हूँ

 कभी-कभी एक दो शायरी भी पढ़ लेता हूं

हॉर्न ओके प्लीज, साइड हो जाएं

कहीं कुछ मुझसे बुरा ना हो जाए

और आप हमको बुरा भला बोल ना जाएं

आइए आप भी बैठिए सवारी में हमारी

ये है ख़्वाबों की तामीर हमारी

चलिए सुनते और सुनाते हैं कुछ शेर

हर मूड पर निर्भर करता है जिसका सार

कभी कभी मैं भी शरमाता हूं

अपनी चाल पे, अपने रंगीले अंदाज़ पे

अपनी हसीना वाली चाल पे

और कभी-कभी होता है आशिकाना अंदाज

और ये तब के लिए जब

बस यूं ही लगे मंज़िल हमराज़

कभी-कभी लगता है क्या देश है अपना

इसलिए लिख के चलता हूं 

कुछ संदेश समाज के लिए

कभी-कभी बस यूँ ही अपनी मस्ती भी करता हूं

और मज़ाक तो आपका हमारा चलता ही रहता है

जब आप ज़ोर से हॉर्न बजाते हैं पर मैं हटता ही नहीं

लिखता हूं लेकिन मैं हमेशा अपने पीछे

Drive Slow, Please

और स्पीड मैं रखता हूँ सबसे ज़्यादा

आखिर दुश्मनों के दिल की धड़कन 

तेज़ करना भी है ज़रूरी

और सरकार की मदद भी करता हूँ 

ये जनहित में जारी का बोर्ड लगा अपने पीछे 

आख़िर छोटा सुरक्षित परिवार 

है सुखी जीवन की कड़ी

और एक नज़र का टीका 

ज़रूर लगाके चलता हूँ

यही है मेरे पहियों का सुरक्षा कवच 

और मेरे लम्बे और बेहतर स्वास्थ्य की समझ

दिल से एकदम देसी हूं

फिर वही दिल आपके लिए लेकर आया हूं

माँ के आशीर्वाद और प्यार के साथ

इसलिए देखो मगर प्यार से

तो चलिए फिर मिलेंगे यूं ही बस चलते चलते

सबका भला चाहने वाला

आपका शुभचिंतक, ट्रक नंबर 20-63

ओके, टाटा बाय बाय

Stay in the loop…

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1 Comment

  1. Anonymous

    It sounds like the blog does an excellent job blending storytelling with simple and engaging language. Highlighting the lives of truck drivers and the landscapes they traverse while embedding social messages is a powerful approach. It likely makes the narrative relatable and thought-provoking, encouraging readers to connect with the everyday challenges and stories of these journeys.

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