अपने काम के दौरान मैं ग्रामीण बिहार की बहुत सी लड़कियों और उनके माता-पिता से मिलती हूँ, जो मुझे यहाँ लड़कियों की स्थिति समझने में मदद करता है | यहाँ की अधिकतर लड़कियां 14 से 16 साल की उम्र के बाद स्कूल जाना बंद हो जाता है | इसके कई कारण है, जैसे- माता-पिता डर होता है की उन्ही बेटी के साथ कुछ गलत न हो जाए, लड़की ज्यादा पढ़ कर क्या करेगी, आदि | जिससे लड़कियों का अपने भविष्य के प्रति रुझान कम होने लगता है | इन लड़कियों की आकांक्षाओं को जानने के लिय मैंने पिछले दिनों 13 गाँव की 159 लड़कियों के साथ Aspirations mapping किया | वे अपने भविष्य के बारे में क्या सोचता/सोचती है या खुद के लिय कहाँ तक सोच पाती है, या क्या करने की चाह रखता है | इसमें मैंने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम कुछ प्रश्नों के उत्तर पता लगाने की कोशिश की जैसे – लड़कियों को आगे बढ़ने में क्या-क्या समस्या आती है ? वे क्या बनाना चाहती है ? क्या सीखना चाहती है ?
वैसे तो अपने कल के बारे में सोचना एक मानवीय व्यवहार है | कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, किसी भी जाती का हो, किसी भी लिंग का हो, किसी भी स्थान में रहने वाला हो वह अपने कल के बारे में जरुर सोचता है | हाँ, उसके सोच में अंतर जरुर हो सकता है एक ही कक्षा में पढने वाले दो विद्यार्थियों की आकांक्षाएं अलग-अलग हो सकती है या होती है | एक ही घर में जन्म लिय दो बच्चो की आकांक्षाएं अलग-अलग होती है | इसका कारण सिर्फ किसी एक बात पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि ये जन्म से लेकर बच्चे की परवरिश, आप-पास का माहौल, समाज की रीतियाँ, स्कूल का वातावरण तथा बच्चे का खुद पर और उसके माता-पिता का उस पर विश्वास आदि जैसी कई बातो पर भी निर्भर करता है |
159 किशोरियों से बात करने के दौरान मैंने देखा छोटी लड़कियां या कहाँ जाए तो वो लड़कियां जो अभी स्कूल से जुडी हुई है वे बहुत हद तक अपने सपने के बारे में बात कर रही है, बता भी रही है और आगे के बारे में सोच रही है | परन्तु बाकि लड़कियां जो स्कूल से नहीं जुडी है उनसे इस विषय पर बात करना मुस्किल हो रहा था| तो सीधे सवाल करना की आप को क्या बनाना है ? इसका जबाव आना मुस्किल था |तो जब मैं पहले लड़कियों के समूह से मिली तो उन्हें एसे समाज के बारे बारे में कल्पना करने को कहा जहाँ वो रहना पसंद करेगे | जब वे कोई फिल्म, TV आदि देखती है तो उन्हें कोई का किरदार सबसे अच्छा लगता है और क्यों ? आदि |
बहुत सी गतिविधियों और बातो के बाद मैं कुछ डाटा इकट्टा कर पाई हूँ | जो कुछ इस प्रकार है –

आकांक्षाएं
अधिकतर लड़कियां शिक्षक बनना चाहती है | 34.67 % लड़कियां शिक्षक बनने के लिय लड़कियों ने इच्छा व्यक्त की है | बहुत लड़कियों ने बताया की उनका सपना डॉक्टर बनने का है | साथ ही बड़ी संख्या में लड़कियां पुलिस विभाग में भी जाना चाहती है | लड़कियों के सपने में बैंक मेनेजर या बैंक में कोई नौकरी, इंजिनियर, नर्स बनना भी है | बहुत कम लड़कियों ने गायिका, ब्यूटीपार्लर खोलना, वकील, एयर होस्टेज, फोजी, डांस टीचर, रेवले में नौकरी और कलेक्टर जैसे विकल्प भी बोले |
यह भी जाना की लड़कियों को आगे बढ़ने में क्या रूकावटे आती है तो जबाब कुछ इस तरह से थे –

रुकावट
पारिवारिक समस्या में माता-पिता की तरफ से रोक लगाना, यहाँ तक भी भाई की तरफ से भी रोक होना है फिर चाहे भाई बहन से बड़ा या छोटा इससे फर्क नहीं पड़ता है |लगभग आधी लड़कियों ने बोला की उन्हें आगे बढ़ने से रोकने वाले उन्हें घर के ही है | सामाजिक समस्या मतलब आस-पास या गाँव समाज के लोग रोक लगते है | व्यक्तिगत समस्या में लड़कियों ने बोला जैसे – डर लगता है या शर्म आती है या सबसे ज्यादा लड़कियों ने बोला की घर पर काम को बोझ इतना होता है की किसी (पढने या सिखने) का समय ही नहीं मिलता | आर्थिक समस्या में पैसे से समस्या है | साधनों की कमी मतलब यातायात के साधन आदि न होने के कारण आगे बढ़ने में मुस्किल होती है|
इन सभी बातो के साथ देश के युवा की तरह ही एक आम समस्या वो ये की जो करना है वो करना कैसे है ये पता ही नहीं | इस साल 10वी की परीक्षा देने वाली संजू ने मुझे बताया की वह डॉक्टर बनाना चाहती है पर जब मैंने उससे पूछा की वह 11वी मैं कोई सा विषय लेने वाली है तो उसके मेथ्स कहाँ | मैंने उसे बोलना चाहा की यदि आगे कुछ करना है तो उसे जानकार व्यक्ति से बात करनी चाहिय| पर वह पूछती भी तो किससे ? माता-पिता के पास जानकरी नहीं, भाई बोल देता है “तुझे इन सब से क्या करना”, और आप-पास की लड़कियों के पास भी सिर्फ उतनी ही जानकारी है जितनी संजू के पास | घर में एक इन्टरनेट वाला फ़ोन है पर वह सिर्फ भाई उपयोग कर सकता है | किसी से मिलना या बात करने की इजाजत नहीं है | पर सिर्फ कुछ ही लड़कियों ने जानकारी न होने की समस्या बोली शायद यह समस्या आने से पहले इतनी समस्या आ जाती है की अधिकतर यहाँ तक पहुँच ही नहीं पाती है | की वे समझ पाए की आगे क्या और कैसे करें |
एसे ही कई लड़कियां है जो शिक्षा के अधिकार के जरिए स्कूल तक तो पहुँच गई है पर शिक्षा के जरिए अपने भविष्य के बारे में सोचने का अधिकार उन्हें नहीं मिला है |
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