संशय से आत्म-विश्वास की ओर

by | Mar 21, 2019

A story on how a curated red diary is making a difference in the lives of semi-literate or illiterate women entrepreneurs.

झमकू बाई ‘क्यारा’ नाम के एक छोटे से फले में रहती हैं. इस मनोहारी गाँव में लगभग 20 परिवार रहते हैं. उनके पति, जो पेशे से रसोई कारीगर हैं, काम की तलाश में अक्सर गुजरात के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवास करते हैं. झमकू अपना ज्यादातर समय बच्चों, बुजुर्गों, पशुओं की देखभाल व कृषि कार्य में बिताया करती थी. इसके साथ ही परिवार के पोषण व व्यय की जिम्मेदारी भी भली भांति निभाया करती थी. पति के अक्सर प्रवास पर रहने, अनियमित आय व प्रेषण-सम्बन्धी चुनौतियों के चलते झमकू का घर-खर्च अक्सर उधार व कर्ज के अलग-अलग स्वरूपों से चल पता था. आय में नियमितता व सुविधा की आशा रख झमकू ने एक किराणा व्यवसाय की शुरुआत की.

झमकू बाई श्रम सारथी के ‘अनोखी’ कार्यक्रम का हिस्सा हैं. कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया मेरे पिछले ब्लॉग पोस्ट को पढ़ें.

‘अनोखी’ के अंतर्गत श्रम सारथी का उद्देश्य लघु व्यापारों को उन सभी उपकरणों व् गुणों से सशक्त करना है, जो व्यापार की वृद्धि में सहायक हों. बही खाता व व्यापारिक जानकारी के रख रखाव को एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में पहचाना गया. लेखे-जोखे के लिए एक आसान उपकरण बनाने की जिम्मेदारी संस्था द्वारा मुझे दी गयी, जिसे मैंने सहर्ष स्वीकारा. हमने इसका नाम ‘बही खाता’ रखा. झमकू से मिलती-जुलती कहानी उन सौ से अधिक महिलाओं की भी है, जो अनोखी कार्यक्रम का हिस्सा हैं. बही खाते को डिज़ाइन व उपयोग से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती यह थी, कि किस तरह अल्प-शिक्षित महिलाओं को प्रेरित किया जाये? किस तरह उन्हें भरोसा दिलाया जाये कि वह महिलाएं जो कलम पर अपनी अंगुलियाँ रखने से कतराती हैं, अपने व्यवसाय का विस्तृत लेखा जोखा रख सकती हैं.

इस चुनौती से जूझने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, कि डिज़ाइन किया गया उपकरण उपयोग करने में आसान हो और उसमें लिखने की आवश्यकता कम से कम हो. अक्षर सम्बन्धी डर, जो न जाने कितने दिनों, सालों व घटनाओं से घर कर बैठा था, का मन से निकलना सबसे महत्वपूर्ण था. मेरा मानना था कि अगर शिक्षण सम्बन्धी परंपरागत तरीकों का इस्तेमाल किया गया, जिसमे उन्हें लिखना पढना सीखाने पर जोर दिया जाता, तो यह कहीं न कहीं उनके (व अनगिनत अन्य महिलाओं के) भ्रम को और मजबूत करता. यही भ्रम, कि अक्षर ज्ञान व स्कूली शिक्षा के बिना सीखा नहीं जा सकता, एवं अपने दुर्भाग्य की आड़ लेकर उम्र के इस पढ़ाव पर वह आत्म विश्वास की ओर कदम नहीं बढ़ा सकतीं.

समुदाय की महिलाओं के साथ समय बीताकर मैंने पाया कि लगभग सभी महिलाएं मुद्रा के नोटों व उन पर लिखी संख्याओं को समझने में भली-भातीं सक्षम है. बस फिर क्या था, अक्षरों की जगह चिन्हों का उपयोग एक सबसे सुलभ उपाय के रूप में सामने आया. व्यापार से जुड़ी विभिन्न आवश्यक जानकारियों को इकठ्ठा करने के लिए अलग अलग भाग बनाये गए. हर भाग की दूसरे से अलग पहचान करने के लिए अलग अलग रंगों का प्रयोग किया गया. सभी संख्याओं को मुद्रा के denomination में लिखा गया, जिससे महिलाओं को समझने व गणना करने में आसानी हो. इसी के साथ यह अनोखा उपकरण testing के लिए एक prototype के रूप में तैयार था.

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Prototype का उपयोग अमरी बाई ने इस तरह किया

जाँच के लिए हमने विभिन्न आयु व शिक्षा स्तर की महिलाओं को चुना। महिलाओं व उनके परिवारजनों, खासकर बच्चों को उपयोग के लिए प्रशिक्षित व प्रेरित किया। कुछ अंतराल व महिलाओं के सुझाव-अनुसार बदलाव करने के साथ ही, यह उपकरण अपना अंतिम रूप ले चुका था. Testing के दौरान मुझे कई नये और अनूठे अनुभव हुए. कुछ महिलाएं गोले के चिन्ह (जिसे वह बिंदी कहा करती हैं) से सहज थी, तो कुछ महिलाएं लकीरें खींच कर लिखना पसंद करती थी. रंगों की पहचान भी सब ने अपने-अपने ढंग से की. पीले रंग को हल्दी-रंग, हरे को महंदी, व लाल को कुमकुम की तरह पहचाना गया.

इस उपकरण के वितरण को कुछ माह बीत चुके हैं. मुझे यह देख कर सुखद अचरच होता है, कि महिलाएं स्वयं व अपने परिवारजनों की मदद से अपने व्यापार का विस्तृत जोखा रख रही हैं. उनका उत्साह सिर्फ रिकॉर्ड रखने तक सीमित नही है, बल्कि जब भी मेरी मुलाकात किसी से होती है, वो स्वयं मुझे बताते हैं, कि उनके व्यापार की सेहत कैसी है.

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रंगों व चिन्हों पर निर्भर ‘बही – खाता’ का उधार सम्बन्धी भाग

मुझे यह सोच कर अचरज होता है, कि जितना हमने सोचा था उससे भी बढ़कर महत्व महिलाओं ने खुद खोज निकले हैं. जहाँ कुछ महिलाएं इससे माल खरीदने का समय व राशि की गणना कर पा रही है, तो कुछ घर खर्च के लिए गल्ले से निकलने वाली राशी पर नियंत्रण कर पा रही हैं. इस उपकरण के साथ महिलाओं को और भी निर्देश दिए गए, जैसे लेनदेन के बिल को संभल कर रखना. इस आदत के बाद कई महिलाएं थोक व्यापारी से मोलभाव के लिए पिछले बिल में लिखी दर व मात्रा को सन्दर्भ के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं.

इस प्रक्रिया ने न सिर्फ आत्म विश्वास को मजबूत किया, व्यापार संबंधी निर्णय लेने में सक्षम बनाया, बल्कि धोखे व डूबती उधारी से बचाव व उनके व्यापार की एक अलग पहचान बनाने में भी कारगर सिद्ध हुआ है. मेरी उम्मीदों से बढ़ कर इस किताब ने व्यापार और व्यापारी दोनों को सक्षम करने में योगदान दिया.

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