हम सभी प्राथमिक स्वास्थ्य से यह समजते है की एक छोटा सा उपचार जो की किसी बड़ी जगह पहुचने से पहले किया जाए जिससे एक बार काम हो जाए। प्राथमिक स्वास्थ्य ग्रामीण समुदाय के लिए एक मजबूत कड़ी है। जिससे उनको स्वास्थ्य लाभ मिल सके। कई बार प्राथमिक स्वस्थ नही मिलने से मरीज आगे तक नही जा पता ओर उसकी बीमारी बढ़ जाती है ओर कई बार मृत्यु भी हो जाती है।
प्राथमिक स्वास्थ्य मजबूत होने पर ही ग्रामीण समुदाय का स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, आज भी ग्रामीण क्षेत्र मे बीमार होने पर पहले मंदिर या देवी देवता के पास ले जाया जाता है, इसका कारण कही न कही प्राथमिक स्वास्थ्य की कमजोरी है, कई बार होता है की लोगो को प्राथमिक स्वास्थ्य के लिए दूरी तय करनी पड़ती है। कई बार सुविधा होते हुए भी मिल नही पाती है – जिससे लोगो का भरोसा नही होता है। जब तक प्राथमिक स्वास्थ्य मजबूत नहीं होगा, शहरो मे कितने भी हॉस्पिटल – क्लीनिक खुल जाए, हम ग्रामीण लोगो के स्वास्थ्य को नही सुधार पाएगे, कई बार ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र पर समय की पाबंदी की वजह से भी लोगो की पहुच नही हो पाती है।
क्यो ग्रामीण एरिया मे प्राथमिक स्वास्थ्य मजबूत नही है?
- लोगो मे शिक्षा की कमी
- अंधविसवास
- पहुच नही होना
- सुविधा का उपलब्ध नही होना
- सुविधा होते हुए भी बहोत बार कारगर नही होना
- हेल्थ वर्कर की उपल्ब्ध्ता नही होना
- संसाधनो की कमी
कैसे ग्रामीण स्वास्थ्य को मजबूत करे?
- संसाधनो की उपल्ब्ध्ता को बढ़ा कर
- लोगो से लगातार फील्ड मे समय को व्यतित कर के
- लोगो को उनकी समस्या के बारे मे सुनकर
- उनकी जरूरत पर काम कर के
- प्राथमिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्णता लोगो को बताकर
- फील्ड वोर्कर की ट्रेनिंग को बढ़ाकर
अगर प्राथमिक स्वास्थ्य को मजबूत बना लिया जाता है तो शहरो के हॉस्पिटल पर काफी भार कम होगा
सुनने मे कई बार हमारे लिए ओर साथ ही समुदाय के लिए भी थोड़ा अजीब सा लगता है, की ग्रामीण समुदाय मे physiotherapy को पहचान मिलने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज़ को दवा या टिका तक सीमित माना जाता है। ऐसे में physiotherapy का प्रचलन बढ़ना एक सुखद खबर है। राजस्थान के दक्षिणी आदिवाशी समुदाय मे बेसिक हैल्थ केयर संस्थान स्वास्थ्य पर कार्य करती है। पिछले दस साल से काम करते हुए, एक नयी मांग को पहचाना जा रहा है, physiotherapy. संस्थान द्वारा पिछले छै महीने से physiotherapy का कार्य समुदाय के साथ किया जा रहा है। जिससे समुदाय को नयी चीज अपनाते हुए खुशी भी है।
हम समुदाय मे physiotherapy की एक कहानी को बताते है। एक चार वर्षीय पुरुष मरीज गोता क्लीनिक पर आता है, जो की चलने मे असमर्थ है। क्लीनिक से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर रहता है, उसके माता पिता उनको क्लीनिक पर लाये वहा लाने के बाद उनकी जांच की गयी और जांच के बाद पता चला की उनको टीबी है। माँ का कहना था, ‘वह ठीक हो जाए, दोड़े और खेले’ जिसके लिए माँ लगातार कोशिश कर रही थी। गोता चल नही पाता जिससे उनको हर जगह गोता के साथ रहना पड़ता है जिस कारण थोड़ी परेशान भी थी।
पारिवारिक और आर्थिक कारण से शुरुआत मे गोता को इलाज बंद करना पड़ा, लेकिन फॉलो उप मे जैसे ही ये बात पता चली तुरंत उसका इलाज वापस चालू किया गया, लगातार फॉलो उप के बाद लगा की गोता को दवाई के साथ कसरत की भी जरूरत है। दो से तीन महीने तक लगातार कसरत करने पर गोता बिना किसी सहारे ओर थोड़ा थोड़ा चलने लग गया, अभी गोता चल पता है, बताई गयी कसरत को उनकी माँ लगातार करवा रहे है। इसमे physiotherapist और क्लीनिक का सराहनीय सहयोग रहा।
इसी प्रयास से आने वाले दिनो मे कई मरीज को फायदा होगा। ग्रामीण समुदाय मे physiotherapy के कार्य को बढ़ाकर और लोगो को फायदा पाहुचाया जा सकता है, जिसमे physiotherapy कोर्स करने वाले बच्चो को कम्यूनिटी मे भेज कर उनकी कम्यूनिटी की physiotherapy के प्रति समज ओर जरूरत और गहनता से समझा जा सके और साथ ही समुदाय को नॉर्मल कसरत के बारे मे बताया जा सके। यदि ग्रामीण समुदाय मे भी physiotherapy को मजबूत बनाना हो तो कम्यूनिटी साथियों को भी इसके बारे मे ट्रेनिंग होना जरूरी है, जिससे वह कम्यूनिटी मे बात को मजबूत तरीके से रख सके। समुदाय मे physiotherapy के काम को बढ़ाकर उससे जुड़े गलत धारणाओं को भी खत्म किया जा सकता है।

लेखक मनीष तेली (सेंटर) अपने क्लिनिक साथियों के साथ
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