घर तो छोड़ना ही पड़ता है …

by | Feb 10, 2025

उम्र लगभग 24 की होगी। यहाँ की यह भी दिक्कतों में से एक है कि बहुत बड़े तबके को अपनी सही उम्र की जानकारी नहीं होती। और जो आप सोच रहे होंगे कि उनके आधार कार्ड से यह तो आसानी से पता लगाया जा सकता है, तो आप गलत होंगे। मेरे अनुभव के हिसाब से, और मैंने काफी आधार कार्ड देख लिए होंगे, सभी की जन्म तिथि 01/01 ही होती है|

उम्र 24 के आसपास और चेहरा, चेहरा परेशानियों वाला। अभी एक महीने से घर पर है। कहता है सूरत में मन नहीं लगता, पर मजबूरी है, जाना तो पड़ता ही है। जल्द ही वापिस निकलूंगा, पर अभी कुछ दिन घर में रहना चाहता हूँ। ऐसा नहीं है कि घर में सारी सुविधाएं हैं, इसलिए रहना पसंद है। है तो यहाँ भी कुछ नहीं, जो अगर होता तो वह सूरत जाता ही क्यों? पर परिवार तो है। और एक फायदा कम से कम यह तो है की एक कमरे में 8 के जगह 4 लोग ही रहते हैं।

माँ होगी तो 40  के आसपास की, पर शरीर उससे ज़्यादा बूढ़ा लगता है। बचपन से आज तक उनके लिए पते के अलावा कुछ नहीं बदला, किसी दिन ना काम करना क्या होता है उन्होनें जाना ही नहीं, एक ही दिनचर्या है जिसे वो सालों से करती आ रही हैं| क्या सपने हैं उनके अपने बच्चों के लिए? एक तो लड़की है 16 साल, उम्र हो गई है और जल्द ही उनकी शादी कराना चाहती। लड़का बाहर है, वो अच्छा नहीं लगता पर कमा रहा है उसकी ख़ुशी है| और यहाँ का ऐसा ही है। इसके पिताजी भी वहीं गए थे जब वह छोटे थे, अब इसकी बारी है। उसके अलावा अवसर के नाम पर यहाँ हैं भी क्या?

लड़की जो है, वह माँ को खाना बनाने में हाथ बटाती है और अपनी छोटी बहन का ख्याल रखती है। मैंने सिर्फ दो बच्चों के बारे में बताया क्या? एक और बच्ची है, साल भर की ही होगी।

घर बोलूं या दो अलग-अलग कमरे?

घर ही बोलता हूँ, आखिर घर बनता तो परिवार से ही है। काफ़ी समय लगा इस दो कमरे के मकान को बनाने में। पिताजी ने 15 साल सूरत में काम किया, तब जाकर बना यह घर। आज भी बहुत से मजदूर जो बाहर जाते हैं उनसे अगर पूछो की उनकी सबसे बड़ी इच्छा क्या है वो अक्सर घर ही बोलते हैं और जिसे बनाते बनाते वो जवान से बुढा हो जाता है |

घर

इस 24 साल के लड़के के क्या सपने हैं? फिलहाल तो कोई दूसरी नौकरी मिल जाए, वही है। साडी कटिंग का काम अच्छा नहीं लगता, ऊपर से 12 से ज़्यादा घंटे काम कराते हैं हर रोज़। नींद भी अच्छी नहीं आती। और जो नींद भी पूरी ना कर सके, क्या वह पूरा इंसान भी कभी बन पाता है? मुश्किल है इसका जवाब देना। खैर, शादी तो इसकी हो गई है और दो बच्चे हैं। कुछ दिन तो पत्नी और बच्चे सूरत में ही रहे इसके साथ, पर अब खर्च ज़्यादा लगता है तो वे वापिस आ गए हैं।

बहन की शादी को लेकर चर्चा चालु है है कि लोन लें, पर ले किससे? बैंक में तो जाने से ही डर लगता है, पर इन्होंने सुना है कि कुछ बैंक हैं जो इनको भी लोन दे सकते हैं, वो भी घर आकर। वहीं से ले लेंगे। और ब्याज ज़्यादा हुआ तो? मिल रही है वही बड़ी बात है, ब्याज का बाद में सोचेंगे। बहन को शादी का मन है या नहीं, यह बताना मुश्किल है, पर शादी करनी होती है, इतना मालूम है। तो आज करो या कल, क्या फर्क पड़ता है? और पढ़ाई में मन भी लगे तो बहुत चलना पड़ता है, और आधे वक़्त तो मास्टर साहब भी नहीं आते तो जाना क्यों?

खेती है थोड़ी सी। जब से पिताजी वापस आए हैं सूरत से, और मैंने बताया क्या कि वह सूरत से आए क्यों? अब ज़्यादा काम नहीं होता उनसे, उम्र हो गई है। 45 के आसपास होंगे, तो आजकल खेती में ही लगे रहते हैं। इस साल तो आख़िर में ज़्यादा बारिश से मक्के भी खराब हो गए। लड़के की पत्नी ने नरेगा में जाना शुरू कर दिया है। पूरे 90 दिन तो नहीं मिलते, पर साल के 50-60 तो हो ही जाते हैं। हर रोज़ के 190 कमाती है |

सूरत में तो सोचने की फुर्सत नहीं है

आख़िर यह सोचने की फुर्सत ना होना क्या होता है? पर नहीं है तो नहीं है। 8 लोग रहते हैं एक कमरे में। वहां अक्सर हादसे होते हैं, और हादसों में अक्सर वो | सालों बीत गए, बहुत कुछ बदला है, पर शायद कुछ भी नहीं बदला। या जितनी चीज़ें बदल रही हैं, वो उतनी ही वैसी की वैसी हैं। पहले पिता आए, फिर लड़का, अब शायद उसके बच्चे भी आएंगे। सरकार ने घर तक नल तो लगवा दिया, पर पानी देना भूल गए। कुछ तो बीमारी है सरकार को, वह अक्सर भूल जाती है। उसके पास आयुष्मान कार्ड है या नहीं? है तो किसी अच्छे डॉक्टर से दिखवा लेना चाहिए।

इन्हें मालूम नहीं कि सरकार की तबियत फर्स्ट क्लास है, बस वह कुछ चीज़ों को याद करने में विश्वास नहीं रखती। और रखे भी क्यों? आख़िर दिया क्या है इन लोगों ने सरकार को? और फ्री का राशन ले रहे हैं, वह अलग। इनको तो उनका एहसान मानना चाहिए, इतना कुछ मिल रहा है। हर बरसात छत टपकती है नई-नई जगहों से और कम हो जाती है जगह सोने की …

जो भी है, यही है। 3 दिन बाद बस पकड़नी है। मैनेजर का अभी-अभी कॉल आया है। अब फिर से सोना और सोचना बंद करना होगा…

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