एक बात-चीत

by | Nov 26, 2016

परिवर्तन में होने वाले कार्यक्रम के किय में लडकियों को बुलाने में गाँव ‘मिया के भटकन’ (जो परिवर्तन परिसर से 500मी. की दुरी पर है) गई, उस दौरान मैंने संजू (उस गाँव में रहने वाली लड़की) के पिता से बात की जो इस प्रकार थी …

मै – नमस्ते,

हरीश जी – नमस्ते! बोलीए|

मै – जिन लडकियों  के साथ मै बैठक करती हूँ, उनको परिवर्तन के एक प्रोग्राम में ले जाना चाहती हूँ| तो संजू को ले जाने के लिय मै आप से पूछने आई हूँ, मैंने संजू से पूंछा तो उसने कहाँ की घर के लोग जाने नहीं देगे और यदि वे जाने नहीं देगे तो मै नहीं जाऊगी| आप पापा से बात कर लो… इसलिय मै आप से पूछने आ गई|

हरीश जी – सही तो बोला यदि guardian जाने नहीं देगे तो कैसे जाएगी| मुझे पता है, अच्छा प्रोग्राम हो रहा है| बहुत अच्छी जगह है परिवतर्न|

मै – अरे ये तो बहुत अच्छी बात है, आप को तो पता ही है, तो आप उसे जाने दे देगे न, बहुत कुछ सिखने मिलेगा उसे| और सारी लड़कियां साथ मै जायगी तो कोई डर भी नहीं होगा| आप बोले तो मै लेने आ जाऊगी| और प्रोग्राम खत्म होने के बाद छोड़ने भी|

हरीश जी – अरे हाँ बहुत कुछ सिखाते है वहाँ बहुत अच्छा है

(मुझे सुनने में अच्छा लगा की कम से कम समझ तो रहे है, नहीं तो शायद अब ज्यादातर लोगो को तो लगता है की परिवतर्न जो एक समाज सेवी संस्था है वो लड़कियों के लिय तो हुई ही नहीं| मन ही मन सोच रही थी ये तो मान जायगे, पर आगे उन्होंने कहाँ)

मै तो जाने दे देता पर ये देहात है न यहाँ लड़कियां घर से बहार नहीं निकलती है| यदि हम जाने भी दे दे तो आस-पास के लोग बोलने लगेगे|

मै – मै समझ सकती हूँ की लोग बोलते है, पर जब हम कुछ अच्छा काम करने निकलते है तो लोग बोलते ही है, आप तो खुद भी परिवर्तन जाते है आप को पता है वहाँ का माहौल फिर आप लोगो की बात  पर ध्यान क्यों देते है?

हरीश जी – हाँ मै तो मना नही करता उसे जाने की लिय, मगर उसका भाई है न वो गुस्सा करता है|

मै – कितना बड़ा है उसका भाई?

हरीश जी – उससे छोटा है, अभी 9वी पढ़ रहा है|

(मै अचम्भित रह गई की एक 15 साल का भाई अपनी ही बहन को एक एसी जगह जाने से रोक रहा है जहां वो खुद तो जाता ही होगा और उसके पिता भी प्रोग्राम देखने और अन्य काम से जाते रहते है| उसके पिता बेटी को जाने की इजाजत दे सकते है, मगर उनका ही बेटा अपनी बहन को जाने से रोकता है और वो कुछ नहीं कर पाते है| हालाँकि ये उनका बहाना ही होगा न कहने का)

मै – अरे जब आप को दिकक्त नहीं है तो वो क्यों मना करता है| आप समझिय उसे समझ जायगा| कहाँ है वो मै बात करू क्या|

हरीश जी – पता नहीं कहा है कही घूम रहा होगा|

मै – आप बात, समझाइये उसे|

हरीश जी – ठीक है, अच्छा मै बात करुगा चली जायगी वो|

मै- धन्यवाद, अच्छा लगा आप से बात करके|

जब संजू को बताया की उसके पापा ने हाँ कर दिया है उसके साथ बाकि सारी लड़कियां खुश हो गई, संजू के पापा ने हाँ कर दिया है तो वे भी अपने घर पर बात कर सकेगी| मैंने सभी लड़कियों से कहाँ कल 12 बजे तैयार रहना मै लेने आ जाऊगी| दुसरे दिन जब मै उसके घर पहुची तो देखा संजू उदास थी, पूछने पर उसने बताया की अब उसके दादा जी मना कर रहे है, और वो नहीं जाने देगे| मैंने संजू के दादा जी से भी बात की उनका कहना था की संजू दिन भर व्यस्त रहती है, उसे घर का इतना काम होता है की वह नहीं जा सकती| बहुत बात करने पर भी नहीं माने और कोई न कोई बहाना देते रहे| संजू का चेहरा मुरझा गया| मै अंत में कुछ लडकियों को लेकर आ गई| हम कहते है, आने वाली पीढ़ी शायद कुछ बदलाव लाएगी, मगर ये जाड़े बहुत गहरी प्रतीत होती है … फिर भी कुछ उम्मीदों के साथ कोशिश जारी है|

Stay in the loop…

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