“उदयपुर के 25 गाँव जहां कोई स्कूल नहीं”

by | Jul 11, 2022

अभी हाल ही में आपने बिहार के सोनू कुमार का वायरल वीडियो देखा होगा, जिसमें वो सीएम नीतीश कुमार से मिलकर अच्छी शिक्षा पाने की गुहार लगा रहा था। वह IAS बनने के सपने बता रहा था। अब चलिए आपको वहीं, राजस्थान के सुदूरवर्ती इलाकों में ले चलते हैं।

बस स्कूल जा रहे हैं

कुछ आदिवासी बच्चों से मैं मिला, जिनके कोई सपने नहीं हैं, बस स्कूल जाना है इसलिए जा रहे हैं। आदिवासी इलाकों में शिक्षा को लेकर बहुत सी समस्याएं हैं, जिसका प्रभाव इन बच्चों पर पड़ता है। इन समस्याओ मे पारिवारिक समस्याएं भी हैं और स्कूल भी। पारिवारिक समस्याओ मे बच्चों को घर के काम में साहयता करनी पड़ती है। जैसे खेती के काम हो या मज़दूरी में घर में पैसे की कमाई लाने में मदद करने से बच्चे मज़दूरी तक करते हैं।

माँ-बाप अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं पर बहुत से गाँव में आज भी स्कुल नहीं है। मा-बाड़ी केंद्र नहीं हैं, इनके बच्चों को पहाड़ी इलाके पार करके दूसरे गाँव में पढ़ने जाना पड़ता है। कहीं नदियों को पार करके जाना पड़ता है। आने जाने के समय उन्हें नरेगा के मजदूर काम करते दिखते हैं, कुछ किसान काम करते हैं। दूसरे बच्चे खेलते हुए दिखते हैं, जिससे वे प्रभावित होते हैं और पढ़ाई से दूर होने लगते हैं।

शिक्षकों की कमी भी एक बड़ी वजह

प्रतीतात्मक तस्वीर

इन बच्चों की पढाई में समस्याएं अगर शुरू हो जाये तो बच्चो का मन भटकने लगता है, एक समय बाद अगर वे स्कुल आ भी गये तो उन्हें सिर्फ किसीके कहनेसे स्कुल आना होता है। स्कुल में अध्यापक की कमी होने से भी बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ता है। अध्यापक की कमी से हर बच्चा पूरी तरह पढ़ पा रहा है या समझ पा रहा है यह समझना एक अध्यापक के लिए आसान नहीं है।

कोटडा यह तहसील राजस्थान के उदयपुर ज़िले में आती है। यह आदिवासी विभाग है इस तहसील में सरकारी जानकारी के अनुसार 250 प्राथमिक विद्यालय है, 50 उच्च प्राथमिक विद्यालय, 14 माध्यमिक विद्यालय और 36 उच्च माध्यमिक विद्यालय यानि कुल 350 विद्यालय कोटडा क्षेत्र में कार्यरत हैं, जिनमें कुल नामांकित 45406 विद्यार्थी हैं इन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 1909 अध्यापक के स्वीकृत पद में से 1309 अध्यापक वर्तमान में कार्यरत हैं और 870 पद आज भी रिक्त हैं। आरटीआई कानून के अनुसार हर 30 विद्यार्थियों के लिए 1 अध्यापक होना ज़रूरी है, पर कोटडा में 18 विद्यालय ऐसे हैं, जिसमें 60 से अधिक विद्यार्थियों का नामांकन है और सिर्फ 1 अध्यापक है। इसके साथ ही वर्तमान में 25 पंचायतों के 29 गाँवों में एक भी विद्यालय या मा-बाड़ी केंद्र नहीं है।

29 गाँवों में शिक्षा से वंचित बच्चे

29 गाँव के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है। क्या यह एक वजह है जिससे यह बच्चे कल मज़दूर बनेंगे? शिक्षा की जानकारी के लिए इस अनुसंधान के समय मेरी मोईन शेख से बात हुई, यह आदिवासी विकास मंच के समाज सेवक हैं, जो कोटडा के आदिवासी विभाग में शिक्षा के मुद्दे पर काम करते हैं, बच्चों की समस्याओं पर सवाल पूछने पर इन्होने कहा।

कोटडा में पहाड़ी वाले क्षेत्र में विद्यालय नहीं होने से बच्चों को पढ़ने जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके अभिभावको को लगता है इतना दूर कैसे जाएंगे और पढ़कर क्या करेंगे? घर का करेंगे तो कुछ मदद मिलेगी।

इसलिए कही ना कही कोटडा में यह चीज़ देखने को मिलती है। कोटडा में विद्यालय भवन बनना ज़रूरी है और उनमें सारी सुविधाएं हों, जिससे बच्चों को पढ़ने का माहौल मिले। अध्यापको की कमी ना हो, जिससे विद्यालय में बच्चो को नियमितता बनी रहे।


This article was originally published on Youth Ki Aawaz as a part of the JusticeMakers’ Writer’s Training Program.

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